रूह का सुकून, मां बनना है
हम पढ़े-लिखे और साहिब ए हैसियत है, इस दिखावे की खतीर कुछ सयाने लोग मज़हबी बातो को दक़ियानूसी मानकर मगरीबी सफ़ाकत अपनाए हुए है। तो चलो जिसे जो भाषा समझमे आती है, उसी भाषा मे बात करतें है।
प्रसिद्ध गयनेकोलॉजिस्ट नवनीत सेन, [ FICOG, अनुभव : +42 साल ] के और माॅर्डन सायन्स के हिसाब से औरत की तंदुरूस्त और सेहतमंद बच्चा पैदा करने की सब से बेहतरीन उम्र 20 से 30 साल की ही होती है।
औरतें बच्चों के करोडो अंडों के साथ ही पैदा होती है, जो आगे चलकर काम आते है। लेकिन उम्र के साथ ये अंडे आहिस्ता आहिस्ता कम होते जाते है। लगभग 40 की उम्र तक ये पूरी तरह से खत्म हो जाते है।
एक और एक्सपर्ट डॉक्टर गरिमा शर्मा कहती हैं कि 30 साल से ज्यादा उम्र होने पर अगर डिलीवरी होती है तो बच्चे में जिनीयाती खुसूसियत मे गैरमामुली बदलाव आने की अंदेशा बढ जाता है. [ जैसे बच्चा अबनॉर्मल, अपाहिज या मतिमंद होने की संभावना ]
मा की उम्र बढ़ने के साथ ही अन्य बीमारियों के खतरे भी होते हैं. 30 के बाद हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज ( मधुमेह, शुगर ) जैसी बीमारियों के रिस्क बढ़ने लगते हैं. इसके कारण प्रेग्नेंट होने में दिक्कतें आ सकती हैं।
इन परिस्थितियों में अगर कोई हामेला औरत [ प्रेग्नेंट ] है, तो बढ़े हुए हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज से हमल गिरने [ गर्भपात ] का खतरा बहुत बढ़ जाता है. ऐसे में प्री टर्म बर्थ की भी आशंका रहती है। साथ-साथ प्रेसेंट प्रेविया, स्टीलबर्थ, सिझेरियन डिलीवरी, डिलीवरी के बाद भारी खून बहना, बच्चे का पैदाइश वजन कम रहना जैसे परेशानीओ का भी सामना करना पडता है।
ये माना के औरत बच्चे पैदा करने की मशीन नही है, मगर औरत का औरत बनने मे उसे मां बनना एक लाज़मी शर्त भी तो है। करिअर और हमारी सोच ने हमने बच्चों को कीस खाईमे धकेलने की तयारी कर रहें है, अल्लाह ही बेहतर जानता है।