ऐसा भी होता है


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ऐसा भी होता है
[ फ़ैज के हकीक़ी किस्सा ]
          दोस्तो, अपने बेटे का रजिस्ट्रेशन करने आये [ वक्त - 11:15am ] मियां-बीवी से लड़की के बारे मे बात छेड़ी, बड़े अफसोस के साथ कहने लगे। "कहां कुछ हुआ है, तीन साल से कोर्ट मे केस चल रहा है। केस जहाँ के वहाँ रूका पडा है। वकील हर बार फीस लेकर कहता है। अगले महिने जरूर फैसला होगा। हम तो तंग आ गए है।"
           बात करने से पता चला झगड़े की कोई खास वज़ह न थी। बस कुछ मनमुटाव और कुछ ग़लतफ़हमी के शिकार थे। मै हमेंशा कहता आ रहा हूँ के, सिर्फ जान जाने का ख़तरा हो तभी तलाक लेना चाहिए। बाकी हर बात बातों से हल हो सकती है।
        उसी वक्त www.faiznikah.com के जिम्मेदार आरिफ भाई को सारी बात समझाकर लड़का और उसके घरवालों को ऑफिस लाने को कहा। इधर लड़की के मा-बाप को लड़की और 4 साल के नवासे अमीर को भी बुला लिया।
         सारे आने के [ वक्त- 12:05pm ] सभी हाज़रीन को मशवरा की दुआ पढ़ाई-
 अल्लाहुम्मा अलहिम्नी रुशदी व अइजनी मिन शररी नफ्सी
      तर्जुमा:- ऐ अल्लाह ! मुझे सहीह रहनुमाई की तरग़ीब दे, और मुझे मेरे नफ़्स के फरेब से बचा।
           फिर ऑफिस के रूल समजा दिए- एक वक्त पर एक शक्श बोलेगा। अपनी बात मुकम्मिल होने के बाद दुसरा बोलेगा। बिच मे बोलने वाले को मिटिंग से बाहर किया जायेगा।
          बातचीत शुरू हुई। सभी ने अपनी अपनी बात पेश कि। [ मगर यारो वो जोश, वो घुस्सा और नफ़रत न थी जो तीन साल पहले झगड़े की शुरुआत मे हुई थी। ] वक्त  ग़म, घुस्सा, नफ़रत की धार को मोंड करने मे मदत करता है। बातचीत के दौरान बच्चा अमीर अपने अब्बा के गोदी मे बैठा रहा।
         [ वक्त- 1:00pm ] हालात का ज़ायज़ा लेकर आरिफ भाई ने  एलान किया के, सारे बुजुर्ग चाय के लिए बाहर चलेंगे।  
          तीन साल से एक-दुसरे को दुष्मन समझने वाले मियां-बीवी को बच्चे के साथ छोड़कर हम सभी पास के हाॅटेल मे चले गए। जोहर की नमाज के बाद [ वक्त- 2 :20pm ] ऑफिस लौट आए।
         अल्हम्दुलिल्लाह, ऑफिस का मंझर बड़ा खुशबूदार और ख़ुशनुमा नज़र आया। अबतक जो  मियां-बीवी दूर दूर बैठे थे वो पास-पास बैठ कर गुफ़्तगू कर रहे थे।
         हमे देखकर एकदम खड़े होकर बोले " हमे एक साथ रहना है।" बस हमे और कुछ सुनने की खाँहिश ही नही थी। आरिफ भाई ने मस्जिद से इमामसाहब को दफ्तर के साथ बुलाकर उनका फिर से नऐ महेर के साथ निकाह पढ़ा दिया।
         शुक्र है अल्लाह तआला का, तीन साल का झगड़ा तीन घंटे मे सुलझा दिया।