निकाह के 365 दिन


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  जि हां दोस्तो इस्लाम मे पुरे साल भर मे किसी भी दिन निकाह करना, निकाह के ताल्लुक से देखना दिखाना या बातचीत करना न मकरूह है, ना हराम है।
           इस्लाम मे ऐसा कुछ नही है, की सालाना यादो मे रंज और गम को फिर से दोहराना और शोग मनाना जारी रखकर किसी भी तरह की खुशी व्यक्त करने से मना कर दें।